परी का सपना
एक परी का सपना मैने देखा।
मासूम सी प्यारी सी,
जो मुझे मां मां कहे,
में रोऊ तो मेरे आंसू,
वो अपने हाथों से मिटाए।
मुझे सीने से लगाए।
तो बहुत सकून आए ।
मेरी तकलीफो को बिन कहे समझे।
काश वो परी मुझे मिल जाए।
पर डर लगता है वो परी,
कहीं मिल कर भी खो न जाए।
उसे किसी की नजर न लग जाए।
उस पर दरिंदगी भरी नजर न पड़ जाए।
न जाने कितनी प्यारी प्यारी परियां,
जो मां के आंचल से दूर हो गई।
शायद मन्नते मांग मांग कर पाया था।
जिनको वो बुरी नजर का शिकार हो गई ।
डर लगता है मुझको,
कहीं मेरी परी पर,
वो नजर न पड़ जाए।
मेरी परी को कोई,
मुझसे छीन न ले जाए।
हर मां का दिल यू ही डरता है।
तड़पता है रोता है।
जब उसकी परी समय,
से घर नहीं पहुंचती,
मां को पता होता है।
ये दुनिया बहुत बुरी थी।
एक औरत के लिए,
मां, बहन, बेटी के लिए,
उसने भी बुरी नजरों का,
सामना किया था।
वो डरती थी उसकी परी
परी पर कोई बुरी नजर न पड़े।
बुरी नजर न पड़े।।
अलका कुमारी
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