जीवन का असली मौल

जीवन का असली मौल

जीवन का असली मौल,
मौत के करीब पहुंच ,
कर ही पता चलता है।

फिर मन को एहसास होता है।
क्या खोया क्या पाया।
क्या बुरा किया ।
क्या अच्छा अपनाया ।

कहां कमी रह गई ।
कोन रास नहीं आया।
क्यों बेकार कर दी जिंदगी ।
क्यों तु किसी के काम न आया ।
क्यों तु किसी के काम न आया।।

                                अलका कुमारी

Post a Comment

0 Comments